Charchaa a Khas
गाँव के बिना देश हो जायेगा नष्ट:डाॅ.उमेश
गांधी को जीवन में उतारने से मिलेगी मानसिक शांति:डाॅ. मनोज
सोचो नहीं करो कामयाबी का यही मूलमंत्र:डा.एस.के.ठाकुर
ब्यूरो प्रभारी (कुंदन राज)
भागलपुर। स्नातकोत्तर गांधी विचार विभाग में “खादी संस्थाओं की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन” विषय पर एम.ए. चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों का आठ दिवसीय ग्राम सर्वेक्षण सह सम्पर्क शिविर का समापन समारोह आयोजित किया गया।
समापन समारोह में विषय प्रवेश डॉ. उमेश प्रसाद नीरज ने कराया। उन्होंने सर्वेक्षण के उद्देश्य और आवश्यकता पर प्रकाश डाला। विभाग द्वारा पूर्व में हुए सर्वेक्षण कार्यों पर भी प्रकाश डाला गया।
उन्होंने कहा कि भारत गांव का देश है अगर गांव नष्ट हो गया तो हिंदुस्तान नष्ट हो जाएगा। उन्होंने कहा कि गांधी केवल आजादी की लड़ाई का ही नेतृत्व नहीं कर रहे थे, बल्कि वे भावी भारत के निर्माण की परिकल्पना भी बना रहे थे, जिसका वर्णन 1909 में उन्होंने ‘हिंद स्वराज’ में किया था।
खादी ग्रामोद्योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि चरखा केवल वस्त्र ही नहीं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता और आजादी का प्रतीक है। चरखा हर व्यक्ति के हर हाथ को काम देने का माध्यम बन सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. अमित रंजन सिंह ने की। उन्होंने कहा कि खेती के बाद सबसे ज्यादा रोजगार ग्रामोद्योग के द्वारा ही संभव है। इसलिए ग्रामोद्योग अपनाने की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि डॉ. मनोज मीता ने कहा कि गांधी को यदि आप अपने जीवन में उतार लेंगे तो आपको मानसिक शांति मिलेगी। उन्होंने विभाग में विद्यार्थियों को चरखा द्वारा कताई प्रशिक्षण के लिए कार्यशाला आयोजित कराने का आश्वासन दिया।
विभाग के पूर्व छात्र कृष्ण किंकर मंडल ने कहा कि गांधी के सपनों का भारत आर्थिक स्वावलंबन के द्वारा ही संभव है, यह आर्थिक स्वावलंबन खादी ग्रामोद्योग प्रदान कर सकते हैं।
वनस्पति विज्ञान के सेवानिवृत्ति प्रोफेसर डॉ. एस. के. ठाकुर ने विद्यार्थियों को समय के महत्व को बताया। उन्होंने कहा जीवन में कामयाबी के लिए जो आप सोचते हैं, उसे कर डालिए।
यही कामयाबी का मूल मंत्र है।आठ दिवसीय ग्राम सर्वेक्षण सह संपर्क शिविर में पिछले 8 दिनों से गांधी विचार विभाग के विद्यार्थियों ने साक्षात्कार अनुसूची के माध्यम से भागलपुर जिले में स्थित खादी संस्थाओं की वर्तमान दशा पर महत्वपूर्ण आंकड़ों का संकलन किया।
विद्यार्थियों ने 8 दिवसीय सर्वेक्षण शिविर के अनुभव को भी साझा करते हुए इन संकलित आंकड़ों के आधार पर खादी संस्थाओं की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन किया। मंच संचालन प्रोफेसर मनोज कुमार दास और स्वागत भाषण डॉ. सीमा कुमारी के द्वारा किया गया।
सर्वेक्षण शिविर प्रभारी प्रोफेसर गौतम कुमार द्वारा आठ दिवसीय सर्वेक्षण की प्रत्येक दिन की गतिविधि का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया गया।धन्यवाद ज्ञापन डॉ. देशराज वर्मा द्वारा किया गया।एम. ए. चतुर्थ सेमेस्टर के समस्त विद्यार्थियों ने 8 दिवसीय सर्वेक्षण शिविर के अपने अनुभवों को भी कार्यक्रम में साझा किया।
प्रियांशु कुमारी, सरस्वती कुमारी, राहुल कुमार यादव, शिल्पा मिश्रा, जया मिश्रा, सुनीता कुमारी, पुष्पांजलि कुमारी, श्रवण कुमार, सोनू कुमार गुप्ता, विजय कुमार, पियूष, प्रियांशु, प्रियांशु कुमारी, राजमणि कुमारी, कैलाश दास, सोनी कुमार, मधुकांत कुमार, रंजीत कुमार, माधुरी कुमारी ने अपने-अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वर्तमान में खादी संस्थाओं की स्थिति दयनीय है, पुरानी खादी संस्थाओं के पास खुद की जमीन है लेकिन उनका देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है।
वहांँ कार्यरत कर्मचारियों को बहुत कम मानदेय मिलता है। खादी संस्थाओं की मूलभूत समस्याओं का समाधान और उन्हें पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।
यदि खादी संस्थाओं का पुनर्निर्माण होता है, तो यह आत्मनिर्भर स्वावलम्बी भारत के निर्माण में एक बहुत बड़ा योगदान होगा। कार्यक्रम में पूर्व शोधार्थी डॉ. शशि कुमार, डॉ सनोज कुमार, मीडिया कर्मी डॉक्टर विभु रंजन, रश्मि कुमारी, संजीव रविदास, विनोद कुमार साह, रॉकी पांडेय, प्रिंस कुमार, सागर शर्मा, गौरव कुमार मिश्रा, शिक्षकेत्तर कर्मचारी उमेश कुमार, रामचंद्र रविदास आदि उपस्थित थे।